
नई दिल्ली: उत्तराखंड के दो शिक्षकों, चंपावत की मंजूबाला और देहरादून के मनीष ममगाईं को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक विशेष समारोह में इन शिक्षकों को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण की सराहना की।
राष्ट्रपति ने किया शिक्षकों को सम्मानित
राष्ट्रपति मुर्मु ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षकों का सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि उनके विद्यार्थी उन्हें जीवन भर याद रखें और परिवार, समाज, और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दें। उन्होंने प्राचीन भारतीय परंपरा ‘आचार्य देवो भव’ का उल्लेख करते हुए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन किया। उन्होंने शिक्षा को भोजन, वस्त्र, और आवास की तरह व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए अनिवार्य बताया। राष्ट्रपति ने संवेदनशील शिक्षकों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि वे बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना जगाते हैं। उन्होंने बालिका शिक्षा को भी विशेष महत्व देते हुए कहा कि बेटियों की शिक्षा में निवेश राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान देता है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए शिक्षकों को विश्वस्तरीय बनना होगा।
मंजूबाला: चंपावत की शिक्षा में क्रांति
चंपावत जिले के च्यूरानी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मंजूबाला को शिक्षा के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने 2011 में जिले का पहला इंग्लिश मीडियम स्कूल स्थापित किया। मंजूबाला बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी और कुमाऊँनी भाषा सिखाती हैं, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जुड़े रहते हैं। वे नियमित कक्षाओं के अलावा शाम की कक्षाएं भी लेती हैं और स्काउट व गाइड गतिविधियों में भी सक्रिय हैं। मंजूबाला को पहले भी शैलेश मटियानी, तीलू रौतेली, आयरन लेडी और टीचर ऑफ द ईयर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं।
मनीष ममगाईं: कौशल विकास में नवाचार
देहरादून के एनएसटीआई (NSTI) में ट्रेनिंग ऑफिसर मनीष ममगाईं को शिक्षा और कौशल विकास में उनके नवाचार और समर्पण के लिए सम्मानित किया गया। उनके प्रयासों ने नई पीढ़ी को सशक्त बनाने और समाज को प्रगतिशील दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सम्मान उनकी निष्ठा और कड़ी मेहनत का परिणाम है।
पुरस्कार का महत्व
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के तहत प्रत्येक सम्मानित शिक्षक को एक प्रमाण पत्र, ₹50,000 का नकद पुरस्कार और एक मेडल प्रदान किया जाता है। यह समारोह देशभर के शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। मंजूबाला और मनीष ममगाईं का यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए गर्व का विषय है। उनके प्रयास न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण हैं। यह पुरस्कार शिक्षकों की मेहनत और समर्पण को प्रोत्साहित करता है, जो देश के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाते हैं।