देहरादून:
राज्य गठन के पिछले 25 वर्षों में सहकारिता विभाग ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे प्रदेश के किसानों, महिलाओं, कारीगरों और युवाओं को लाभ मिला है और पलायन रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए हैं। सहकारी संस्थाओं को अधिक संगठित, व्यापक और पारदर्शी बनाया गया है, साथ ही शत-प्रतिशत पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण कर सहकारिता का लाभ आम लोगों तक पहुंचाया गया है।
ब्याज मुक्त ऋण का रिकॉर्ड वितरण: 11 लाख से अधिक लोग लाभान्वित
सहकारिता विभाग के अंतर्गत संचालित दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत, वर्ष 2017 से सितंबर 2025 तक, 11,34,434 लाभार्थियों और 6,413 स्वयं सहायता समूहों को कुल ₹6957.88 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण वितरित किया गया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
- किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से, यह योजना कृषि कार्यों के लिए ₹1 लाख, कृषियेत्तर कार्यों के लिए ₹3 लाख, और स्वयं सहायता समूहों को ₹5 लाख तक का ब्याज रहित ऋण उपलब्ध करा रही है।
💻 सहकारिता में डिजिटल क्रांति और प्रशासनिक सुधार
विभाग ने सहकारिता को जनांदोलन का स्वरूप देने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
- शत-प्रतिशत डिजिटलीकरण: प्रदेशभर की 670 पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण किया गया है। उत्तराखंड मॉडल से प्रेरित होकर, केंद्र सरकार ने भी देशभर में केंद्रीय प्रायोजित पैक्स कंप्यूटराइजेशन योजना शुरू की है।
- प्रशासनिक विस्तार: विभाग में स्वीकृत पदों की संख्या 528 से बढ़कर 607 हो गई है। जिला सहकारी बैंक शाखाएं 207 से 330 हो गईं, और शीर्ष सहकारी संस्थाएं 03 से बढ़कर 14 हो गईं। सहकारी समितियों की संख्या 1800 से बढ़ाकर 6346 की गई।
- संरचनात्मक सुधार: विधिक एवं प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए सहकारी संस्थागत सेवामण्डल, सहकारी न्यायाधिकरण, और सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण का गठन किया गया।
- पारदर्शी भर्ती: पहली बार 2018-19 में प्रतिष्ठित संस्था आईबीपीएस के माध्यम से प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं द्वारा जिला एवं शीर्ष सहकारी बैंकों में 597 योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई।
🌱 अभिनव योजनाएं और ग्रामीण सशक्तिकरण
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना और माधो सिंह भण्डारी सहकारी सामूहिक खेती योजना जैसी अभिनव पहलें सफल रही हैं।
- महिलाओं को चारा के बोझ से मुक्ति: मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के तहत 11 जिलों में 182 सहकारी समितियों के माध्यम से 54 हजार लाभार्थियों को अनुदानित दर पर पैक्ड सायलेज और पशु आहार वितरित किया गया है।
- सामूहिक खेती से बंजर भूमि उपजाऊ: माधो सिंह भण्डारी सहकारी सामूहिक खेती योजना के तहत, राज्य के सभी 13 जनपदों में 24 सहकारी समितियों से जुड़े 2400 किसानों द्वारा कुल 1235 एकड़ बंजर भूमि पर संयुक्त सहकारी खेती की जा रही है।
- किसानों की उपज खरीद में वृद्धि: उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ द्वारा 239 क्रय-केन्द्रों के माध्यम से स्थानीय कृषकों से 67171.92 क्विंटल मिलेट्स खरीदकर ₹26.52 करोड़ का भुगतान किया गया है।
- ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल: फेडरेशन और समितियों के सदस्य आईटीबीपी और भारतीय सेना को जीवित बकरी, भेड़, कुक्कुट, ट्राउट फिश और फल-सब्जियों जैसे स्थानीय उत्पादों की आपूर्ति कर रहे हैं।
🤝 महिला सशक्तिकरण और वित्तीय सुदृढ़ीकरण
- महिलाओं को आरक्षण: सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों की प्रबंध कमेटी तथा अध्यक्ष पद हेतु महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया है, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
- घटता एनपीए: ठोस रणनीति के चलते सहकारी बैंकों का सकल एनपीए राज्य गठन के दौरान के ₹4838.16 लाख से घटकर वर्ष 2025 में ₹690.30 लाख रह गया है।
राज्य सरकार सहकारिता को एक जनआंदोलन के रूप में विकसित कर रही है, जिसके माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तराखंड के लक्ष्यों को साकार करने का संकल्प लिया गया है।