
गौचर/चमोली: मानसून की पहली बारिश ने उत्तराखंड के चमोली जिले में अपनी दस्तक देते ही जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। पहली ही बारिश में गौचर क्षेत्र की बमोथ सिंचाई नहर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, वहीं कई महत्वपूर्ण संपर्क मोटर मार्ग भी भूस्खलन की जद में आकर खतरे का संकेत दे रहे हैं।
सिंचाई नहर बमोथ को भारी नुकसान:
बीती रात भर हुई भारी बरसात के कारण बमोथ सिंचाई नहर का लगभग 30 मीटर लंबा पुश्ता ढह गया है। नहर में पानी भर जाने से सुबह होते ही हुए भूस्खलन के कारण यह क्षति हुई है। इस भूस्खलन से गांव के पौराणिक जल स्रोत (पानी का धारा) पर भी मलबा और पत्थर जमा हो गए हैं, जिससे उसके प्रवाह में बाधा आई है।
बमोथ के पूर्व ग्राम प्रधान प्रकाश रावत ने बताया कि नहर के क्षतिग्रस्त होने से किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है, क्योंकि अब कई लोगों की रोपाई का कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने सिंचाई विभाग, चमोली को इस बारे में सूचित कर दिया है और मांग की है कि जब तक पुश्ते का पुनर्निर्माण नहीं होता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से नहर पर पानी छोड़ा जाए ताकि रोपाई का कार्य सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने ग्रामीणों से भूस्खलन से आए मलबे को हटाने के लिए श्रमदान की अपील भी की है।
संपर्क मोटर मार्ग भी खतरे में:
दूसरी ओर, भट्टनगर – रानो मोटर पुल से आगे अलकनंदा नदी की तरफ नीचे से हो रहे भूस्खलन ने रानो – सरमोला, रानो – क्वींठी और सारी – रुद्रप्रयाग संपर्क मोटर मार्गों को भी खतरे में डाल दिया है। रानो ग्राम पंचायत के निवर्तमान प्रधान चंद्र सिंह भंडारी और वन सरपंच उत्तम सिंह भंडारी ने बताया कि यदि इस भूस्खलित क्षेत्र को रोका नहीं गया तो बरसात में ये संपर्क मार्ग कभी भी बंद हो सकते हैं।
उन्होंने इस क्षेत्र में कार्यरत रेलवे निर्माण कंपनियों से आग्रह किया है कि वे इस भूस्खलित भाग पर सुरक्षात्मक उपाय करें। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये संपर्क मोटर मार्ग ध्वस्त हो जाते हैं, तो बहुत बड़े इलाके में खाद्यान्न सहित रोजमर्रा की आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में भारी समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।
मानसून की शुरुआत में ही हुई इस क्षति ने स्थानीय प्रशासन और विभागों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। शीघ्र ही आवश्यक कदम न उठाए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।