कर्णप्रयाग। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के संपन्न होने के साथ ही, इस बार मतदाताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों की बागडोर बड़े पैमाने पर युवा कंधों को सौंपी है। कर्णप्रयाग विकासखंड में 50 प्रतिशत से अधिक चुने गए प्रतिनिधि 40 वर्ष से कम आयु के हैं, जिससे अगले पांच वर्षों तक ‘गांव की सरकार’ युवाओं के हाथों में रहेगी। पहली बार ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के रूप में चुने गए ये युवा प्रतिनिधि साझा कर रहे हैं कि उनकी प्राथमिकता सभी को साथ लेकर विकास योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारना है।
युवाओं के हाथ में गांव की कमान
इस बार के पंचायत चुनावों में युवाओं की भागीदारी और जीत ने एक नया अध्याय जोड़ा है। करीब 50 फीसदी युवा 40 साल से कम उम्र के हैं, जो दर्शाता है कि मतदाताओं ने नई सोच और ऊर्जा को प्राथमिकता दी है। ये युवा नेता अब गांवों के विकास की दिशा तय करेंगे।
प्राथमिकताएं और संकल्
चुने गए युवा प्रतिनिधियों ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया है:
- चौंडली ग्राम पंचायत से 22 वर्षीय सुमन प्रधान बनी हैं। उनकी मुख्य चिंता गांव की सड़क पर डामरीकरण का अभाव है। उन्होंने स्वरोजगार, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का संकल्प लिया है।
- सेरागाड़ से प्रधान बने 25 वर्षीय नीरज रतूड़ी के लिए गुनाड़सेरा तोक तक सड़क पहुंचाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- किमोली वार्ड से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने वाली 23 वर्षीय प्रियंका रावत ने गांव में महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया है।
- ग्राम पंचायत सेमी से प्रधान बनीं 23 वर्षीय काजल का कहना है कि वे गांव के पौराणिक रास्तों के पुनर्निर्माण का प्रयास करेंगी।
- सुंदरगांव से प्रधान बने 29 वर्षीय संतोष टकोला और उत्तरों वार्ड से क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी गईं 25 वर्षीय दीपिका मैखुरी ने महिला उत्थान की योजनाओं को गांव स्तर तक पहुंचाने की बात कही है।
यह स्पष्ट है कि नए चुने गए युवा प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों की मूलभूत समस्याओं और विकास की जरूरतों के प्रति सजग हैं। उनकी ऊर्जा और दूरदर्शिता से गांवों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।