
देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने नकली और मिलावटी दवा बनाने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार फार्मा कंपनियों के मालिकों और प्लांट हेड को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के साथ ही इस घोटाले में गिरफ्तार हुए आरोपियों की कुल संख्या 10 हो गई है।
एसटीएफ की जांच में पता चला है कि यह गिरोह देहरादून में स्थित चार कंपनियों केरोन लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड, बीएलबीके फार्मास्यूटिकल, ओएक्सआई फार्मा और जेंटिक फार्मास्यूटिकल में नकली दवाइयों का उत्पादन करता था। ये कंपनियां सरकारी अस्पतालों में सप्लाई के लिए फर्जी ऑर्डर का इस्तेमाल करती थीं।
कैसे काम करता था यह गिरोह?
जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि ये कंपनियां बिना पैकेजिंग वाली टैबलेट्स को राजस्थान की एक फर्जी कंपनी बीचम बायोटेक के पास भेजती थीं। वहां इन टैबलेट्स को ब्रांडेड दवा कंपनियों के रैपर और स्ट्रिप्स में पैक किया जाता था, और फिर बाजार में बेचा जाता था। इन नकली दवाओं के बिल पर जानबूझकर MRP 00.00 अंकित किया जाता था ताकि इन्हें सरकारी अस्पतालों में आसानी से सप्लाई किया जा सके। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गिरोह के पास किसी भी सरकारी अस्पताल या एजेंसी से दवा सप्लाई का कोई वैध कॉन्ट्रैक्ट या अनुमति नहीं थी।
गिरफ्तारियां और बरामदगी
एसटीएफ ने छापे के दौरान भारी मात्रा में नकली रैपर, बाहरी बॉक्स, फर्जी लेबल और क्यूआर कोड बरामद किए हैं। इसी आधार पर प्रदीप गौड़ (जेंटिक फार्मा), शैलेंद्र सिंह (बीएलबीके फार्मा), शिशिर सिंह (ओएक्सआई फार्मा) और तेजेंद्र कौर (केरोन लाइफ साइंस) को गिरफ्तार किया गया है।
यह मामला 1 जून को संतोष कुमार की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था, जिनके पास से बड़ी मात्रा में नकली दवा सामग्री मिली थी। तब से ही एसटीएफ लगातार जांच कर रही थी, और अब जाकर इस पूरे सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ है। एसटीएफ का कहना है कि वे इस मामले में आगे भी जांच जारी रखेंगे और अन्य राज्यों में भी आरोपियों के आपराधिक इतिहास को खंगाल रहे हैं।