देहरादून: उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ ने कुख्यात प्रवीण वाल्मीकि गैंग से संबंध रखने वाले दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। इन पुलिसकर्मियों की पहचान शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी के रूप में हुई है, जिन पर गिरोह के साथ मिलकर पीड़ित परिवार पर दबाव बनाने और संपत्ति हड़पने की साजिश में शामिल होने का आरोप है।
पुलिसकर्मियों की भूमिका
एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि जांच में खुलासा हुआ कि गिरफ्तार किए गए पुलिसकर्मी शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी के प्रवीण वाल्मीकि और मनीष बॉलर से गहरे संबंध थे।
- शेर सिंह पर आरोप है कि 26 अप्रैल 2025 को उसने रुड़की कोर्ट परिसर में पीड़ित पक्ष को प्रवीण वाल्मीकि से मिलवाया और उन्हें जमीन बेचने के लिए दबाव डाला।
- हसन अब्बास जैदी ने मार्च 2025 में मनीष बॉलर के साथ मिलकर पीड़िता रेखा के बेटे सूर्यकांत को रुड़की अस्पताल में धमकाया और संपत्ति बेचने को कहा।
दोनों पुलिसकर्मियों के कॉल डिटेल्स और मुलाकात के सबूत मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
संपत्ति विवाद और गैंग का आतंक
यह पूरा मामला रुड़की के ग्राम सुनेहरा की करोड़ों की संपत्ति से जुड़ा है।
- वर्ष 2014 में श्याम बिहारी की मृत्यु के बाद, उनके भाई कृष्ण गोपाल ने संपत्ति की देखभाल शुरू की।
- 2018 में प्रवीण वाल्मीकि गैंग ने संपत्ति हड़पने के लिए कृष्ण गोपाल की गोली मारकर हत्या कर दी।
- इसके बाद, श्याम बिहारी की पत्नी रेखा को धमकाया गया ताकि वह जमीन गैंग के नाम कर दे। जब उन्होंने मना किया, तो 2019 में मनीष बॉलर और उसके साथियों ने रेखा के भाई सुभाष पर हमला कर दिया।
लगातार धमकियों से डरकर परिवार ने वह इलाका छोड़ दिया। इसी बीच, गैंग ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर संपत्ति बेच दी। इस धोखाधड़ी में मनीष बॉलर का सहयोगी पंकज अष्टवाल भी शामिल था।
गिरफ्तारियां
एसटीएफ को मिली गोपनीय सूचना के बाद प्रवीण वाल्मीकि, उसके भतीजे मनीष बॉलर और पंकज अष्टवाल सहित छह लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के दौरान, मनीष बॉलर और पंकज अष्टवाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इसके बाद, गैंग की मदद करने वाली महिला रेखा को भी पकड़ा गया। आखिरकार, जांच में दोनों पुलिसकर्मियों की संलिप्तता सामने आने के बाद उन्हें भी हिरासत में लिया गया।