एबीवीपी कर्णप्रयाग के छात्रों की मांगों को लेकर हड़ताल जारी
कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के डॉ शिवानंद नौटियाल महाविद्यालय में ABVP छात्रों द्वारा अनिश्चितकालीन धरने का आज 13वां दिन था। छात्र नेता अंशुल रावत 2 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। ABVP के सभी छात्र और छात्राएं अंशुल रावत का समर्थन कर रहे हैं लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई है।
छात्रों की 5 मूल मांगे हैं जो किसी भी कॉलेज में होनी चाहिए। छात्रों की 5 मांगे हैं, जो इस प्रकार हैं:
- छात्रावास का निर्माण हो
- Nep की किताबे और पुस्तकालय का निर्माण हो
- UG, PG hetu समर्थ पोर्टल पुन्ह खोला जाये
- खेल मैदान बनाया जाए
- कला, समाज सास्त्र, संगीत व योग जैसे विषय खोले जाये
इस संबंध में छात्रों द्वारा कॉलेज प्राचार्य डॉ. खाली जी को ज्ञापन भी दिया गया और किसी भी विभाग को ज्ञापन भी दिया गया लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
अंशुल रावत पिछले 2 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं लेकिन अभी तक कोई भी उनकी सुध लेने के लिए धरना स्थल पर नहीं आया है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में इन दिनों विधानसभा सत्र चल रहा है, ऐसे में कॉलेज के सामने से तमाम नेता गुजरते हैं, लेकिन छात्रों और कॉलेज की सुध लेने वाला कोई नहीं है। छात्रों की समस्याओं का समाधान कौन करेगा। जब शिक्षा मंत्री, विधायक और अन्य नेता बेसिक शिक्षा और कॉलेज की समस्याओं से आंखें मूंदे बैठे हैं, तो शिक्षा को बढ़ावा कैसे मिलेगा?
ये छात्र अपने निजी स्वार्थ के लिए धरने पर नहीं बैठे हैं, बल्कि वे पूरे छात्र हितों और आने वाले वर्षों में इस कॉलेज में पढ़ने आने वाले छात्रों के भविष्य के लिए आवाज उठा रहे हैं। यह धरना एबीवीपी के छात्रों द्वारा बेहतर भविष्य और सभी के लिए बेहतर शिक्षा और सुविधाओं के लिए दिया जा रहा है।
लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि 13 दिन बीत जाने के बाद भी कोई भी छात्रों की सुध लेने को तैयार नहीं है। अगर छात्र नेता अंशुल रावत को कुछ हो गया, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रशासन इसी तरह खामोश रहेगा और क्या मंत्री और नेता इसी तरह पहाड़ के विकास के नाम पर जनता और छात्रों को जुमले देते रहेंगे!
आज दिनांक 24 अगस्त 2024 को बजरंग दल के संयोजक विनीत रावत, सह संयोजक नरेन शैली व अन्य कार्यकारी सदस्य उनका समर्थन करने गए। विनीत रावत ने कॉलेज प्राचार्य से इस गंभीर मामले पर चर्चा भी की। अब देखना यह है कि अंशुल रावत को कब तक भूख हड़ताल पर बैठना पड़ेगा।
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